जलवायु परिवर्तन - IPCC की छटवी रिपोर्ट (A.2)

इस साल IPCC 一 यानि कि जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित अंतर-सरकारी पैनल 一 की छटवी रिपोर्ट प्रकाशित हुई। IPCC का पूरा नाम Intergovernmental Panel for Climate Change है। यह पैनल जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित दुनिया भर में हुए शोधकार्य को एक ऐसी रिपोर्ट का आकार देता है जिससे सरकार एवं आम आदमी, दोनों ही वैज्ञानिक खोजों के बारे में जान सकें और उनका फ़ायदा उठा सकें।

यह लेख इस रिपोर्ट के एक अंश पर केंद्रित है। 

 

Source: Headline Statements, WG1, AR6 (2021)

 

अंश A.2 के अनुसार: "संपूर्ण जलवायु प्रणाली में हाल के परिवर्तनों का पैमाना और जलवायु प्रणाली के कई पहलुओं की वर्तमान स्थिति कई शताब्दियों से लेकर कई हज़ार वर्षों तक अभूतपूर्व है।" 

सरल शब्दों में कहें तो आज जलवायु की जो स्थिति है वो बहुत, बहुत लम्बे समय से नहीं देखी गयी है। इसे समझने के लिए निम्न लेखाचित्र देखें। इस लेखाचित्र में पिछले दो हज़ार सालों के 一 यानि कि साल १ से लेकर २०२० तक के 一 औसत तापमान दिखाए गए हैं। जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित लेखाचित्रों को समझने के लिए एक बात जानना ज़रूरी है 一 हर लेखाचित्र में कुछ सालों की अवधि को आधार माना जाता है। निम्न लेखाचित्र में १८५० - १९०० को आधार माना गया है। इस अवधि के औसत तापमान को आधार मान कर हर साल के अंतर को दर्शाया जाता है। इस तकनीक से हर लेखाचित्र में absolute temperature (निरपेक्ष तापमान) की जगह relative temperature (सापेक्ष तापमान) दिखाए जाते हैं। यह इसलिए किया जाता है ताकि हम तापमान की मात्रा पर नहीं बल्कि हर साल दिखने वाले अंतर या परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करें।

 

Source: SPM, WG1, AR6 (2021)


इस लेखाचित्र को ध्यान से देखें तो ये ज़ाहिर है कि पिछले कुछ दशकों में तापमान बहुत ही तेज़ी से बढ़ा है। यह बढ़ोतरी बहुत ही चिंताजनक है

हो सकता है पाठक गौर करेंगे की पिछले दो हज़ार सालों में औसत तापमान हमारे आधार से अक्सर ज़्यादा रहा है। यही नहीं, ऊपर दिखाए गए लेखाचित्र में सिर्फ़ पिछले दो हज़ार सालों की ही जानकारी दर्शायी है। लेकिन आज हम ये बात भी जानते हैं कि पिछले १००,००० सालों में, यदि हम पिछले कुछ दशकों को छोड़ दें, तो सबसे गर्म अवधि लगभग ६५०० साल पहले शुरू हुई थी। इस दौरान विश्व भर में औसत तापमान हमारे आधार से ०.२ से १ डिग्री तक ज़्यादा था। ये आकलन लेखाचित्र के बायीं तरफ़ "warmest multi-century period in more than 100,000 years" 一 यानि कि पिछले एक लाख सालों की सबसे गर्म अवधि  के नाम से दिखाया गया है। ये स्पष्ट है कि पिछले कुछ दशकों के तापमान इस पूर्व रिकौर्ड को पीछे छोड़ चुके हैं। मानव गतिविधियों ने आज जलवायु को एक अभूतपूर्व दशा में ला दिया है।

जिज्ञासु पाठक पूछ सकते हैं कि लेखाचित्र में "reconstructed" और "observed" शब्दों का महत्तव क्या है। दुनिया भर में तापमान, बारिश या फिर और मौसम-सम्बन्धी चीजों का माप लगभग १५० वर्षों पहले शुरू हुआ। उसके पहले की जलवायु की जानकारी हमें जलवायु विज्ञान की एक विशिष्ट शाखा पूर्वजलवायु विज्ञान, यानि की paleoclimate science से मिलती है। पूर्वजलवायु वैज्ञानिक तरह-तरह के प्राकृतिक संग्रहों पर शोध करते हैं और जटिल तकनीकों से पूर्व-ऐतिहासिक जलवायु की जानकारी हासिल करते हैं। ऐसी जानकारी को हम "reconstructed" यानि कि पुनर्निर्मित कहते हैं, क्योंकि ये सीधी तरह से मापी नहीं गयी है (observed नहीं है) बल्कि अपरोक्ष तकनीकों से अनुमानित की गयी है।
 
पूर्वजलवायु विज्ञान की खोजों से हम ये भी जानते हैं कि आज धरती के वायुमंडल में कार्बन डाई-औकसाइड (CO2) की मात्रा पिछले २० लाख सालों में इस स्तर पर पहली बार पहुँची है! मेथेन (CH4) और नायट्रस औकसाइड (N2O) के स्तर भी पिछले ८००,००० सालों में सबसे ऊँचे हैं। जलवायु परिवर्तन के पीछे इन्ही गैसों का सबसे बड़ा हाथ है। इसके अलावा, अब यह भी स्थापित हो चुका है कि कम-से-कम पिछले २००० सालों में धरती पर हिम-नदियों (glaciers) की ऐसी दुर्गति नहीं हुई है। वैश्विक औसत समुद्र तल पिछले ३००० सालों में आज सबसे तेज़ी से बढ़ रहा है।
 

अंततः 

मानव गतिविधियों ने धरती के वायुमंडल में ऊष्म-संचारी गैसों की मात्रा इतनी बढ़ा दी है कि आज वैश्विक तापमान अकाल्पनिक और अभूतपूर्व रूप से बढ़ रहे हैं। यह बढ़ोतरी पिछले १००,००० साल में नहीं देखी गयी है। हर देश, समाज या समुदाय को इस बढ़ोतरी को रोकने की कोशिश करनी चाहिए।

ऐसे लेख ईमेल में प्राप्त करने के लिए इस लिंक पर जाएँ। 

जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित हिंदी में और लेख पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाएँ।

To read more such arcticles about climate change, go here.

Comments

  1. बहुत अच्छा एवं महत्त्वपूर्ण लेख।
    एक आम नागरिक व्यक्तिगत स्तर पर क्या छोटे छोटे कदम उठा सकता है, यह जानना और भी मददगार होगा।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद। कुछ समय पहले अंग्रेज़ी में कुछ लेख तय्यार किए थे, वो इस पृष्ट पर "How can I help?" के अंतर्गत सूचीबद्ध हैं:

      https://w7i7.blogspot.com/p/climate-change.html

      इसके अलावा, आने वाले कुछ दिनों में इस बारे में हिंदी में भी लिखूँगी।

      Delete

Post a Comment

Popular posts from this blog

On Darwin's Lost World - Part II

On Darwin's Lost World

What is ENSO? Page 2 - SSTs and trade winds