जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान - जबलपुर (मध्य प्रदेश) के नज़रिए से

 पिछले लेख में मैंने चार सवाल सामने रखे थे जो जलवायु परिवर्तन के किसी भी चर्चा की बुनियाद हैं:

  1. क्या है "जलवायु परिवर्तन"?
  2. जलवायु परिवर्तन समस्या क्यों हैं?
  3. जलवायु परिवर्तित क्यों हो रही है?
  4. इसके क्या समाधान हैं?
इस लेख में मैं जलवायु परिवर्तन से संबंधित एक समस्या की चर्चा करना चाहती हूँ -- बढ़ता तापमान। इस लेख के लिए मैं जबलपुर शहर का उदाहरण दे रही हूँ।

जलवायु परिवर्तन "समस्या" क्यों है?

जलवायु परिवर्तन जबलपुर शहर के लिए एक "समस्या" क्यों है, ये समझने के लिए इस रेखाचित्र (graph) को देखें।ये रेखाचित्र जबलपुर का औसत तापमान दिखाता है। 2015 तक का तापमान नीले व लाल रंग में दिखाया गया है (दो अलग-अलग dataset दर्शाए गए हैं)। 2015 के आगे का तापमान पृथ्वी के वायुमंडल में greenhouse gases की मात्रा पर निर्भर करता है। यदि ये मात्रा तेज़ी से बढ़ती रहेगी तो 2100 तक औसत तापमान 4.4 डिग्री बढ़ सकता है। इसका मतलब है कि जबलपुर का वार्षिक औसत तापमान (जो कि आज लगभग 26 डिग्री है) 2100 तक लगभग 31 डिग्री हो सकता है। यदि greenhouse gases की मात्रा नियंत्रित हो गयी तो औसत तापमान लगभग 1.2 डिग्री बढ़ने की सम्भावना है। 

Source: CEEW

विस्तार में

ये रेखाचित्र Council on Energy, Environment and Water (ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद) की रिपोर्ट - Making Madhya Pradesh's Smart Cities Climate Resilient - में उपलब्ध है। रेखाचित्र का 2015 से पूर्व का हिस्सा नीले, लाल और ग्रे रंगो में दिखाया गया है। नीले और लाल रंग से दो अलग dataset दिखाए गए हैं। ग्रे रंग से ये दिखाया गया है कि जिन models का उपयोग भविष्य का आँकलन करने के लिए किया गया, वो अतीत की स्थिति को अच्छे से दर्शा पाते हैं या नहीं। इस तरीक़े से हम models को test करते हैं। ग्रे, नीली और लाल रेखाओं की तुलना करें तो हम ये देख सकते हैं कि climate models जलवायु की स्थिति का ठीक - ठाक चित्रण करते हैं। इन्हीं models का उपयोग करके हम भविष्य के लिए अनुमान लगा सकते हैं। 

models दो तरीक़े के जवाब देते हैं। पहले परिदृश्य में हम model से पूछते हैं कि यदि विश्व भर में greenhouse gases को तेज़ी से नियंत्रित किया गया तो तापमान कैसे बढ़ेगा। इस परिदृश्य को IPCC की परिभाषा के अनुसार RCP 2.6 कहते हैं। (RCP का एक विवरण अंग्रेज़ी में इस लिंक पर उपलब्ध है।) RCP 2.6 के अनुसार जबलपुर का वार्षिक औसत तापमान इस सदी के अंत तक लबगभग 27 डिग्री तक पहुँच जाएगा - iska matlab ek degree aur badh jayega। दूसरे परिदृश्य में हम मॉडल से पूछते हैं कि यदि विश्व भर में greenhouse gases का उत्सर्जन तेज़ी से बढ़ता रहा तो तापमान कितना बढ़ेगा। इस परिदृश्य को RCP 8.5 कहते हैं, और इस स्थिति में इस सदी के अंत तक औसत तापमान 31 डिग्री तक पहुँच जाएगा।

ये काफ़ी चिंताजनक बात है। आज पैदा होने वाली पीढ़ी को अपने जीवन काल में बहुत तेज गर्मी और ऊष्म-लहरों  (heat waves) का सामना करना पड़ सकता है। उपरोक्त रिपोर्ट के अनुसार जबलपुर शहर में 2100 तक गर्म लहर के दिनो की मात्रा 35 - 175 और बढ़ जाएगी। (यदि हम RCP 2.6 के रास्ते पर चले तो 35 दिन, और यदि RCP 8.5 के रास्ते पर चले तो 175 दिन और।) इसका मतलब है कि दो पीढ़ियों के ही अंतराल में ऊष्म-लहरों की अवधि कई महीनो से बढ़ सकती है! गर्मी के महीनो में बाहर चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाएगा। बिना गाड़ियों के परिवहन मुश्किल हो जाएगा। बिना AC के रहना मुश्किल हो जाएगा। ये सब धीरे-धीरे अब भी हो रहा है। जबलपुर प्रवासी (ख़ास-कर वरिष्ट नागरिक) महसूस करते होंगे कि अब गर्मी का मौसम और लम्बा और तीव्र होता जा रहा है।

आने वाले दशकों में जबलपुर का क्या हाल होगा ये देश और विश्व भर के आज के राजनैतिक फ़ैसलों पर निर्भर करता है। पर क्योंकि मौसम के प्रकोप से कोई नहीं बच सकता, तो ये हम सब के लिए चिंतन का विषय है।

आने वाले लेखों में मैं इसी तरह का आँकलन और शहरों के लिए भी करूँगी।

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